कहाँ से निकलती है सरयू नदी ? जानिए इस महत्वपूर्ण स्थल के बारे में-Saryu River

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Saryu River in Kapkot (Bageshwar) Uttarakhand

Saryu River : सरयू नदी भारत की पौराणिक नदियों में से एक है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है और यह कहा गया है कि राजा यदु और तुर्वससु ने इसे पार किया था। पाणिनी ने अष्टाध्यायी में सरयू का उल्लेख किया है। शिव महापुराण के सरयू महात्म्य में सरयू का वर्णन है। ‘सरयू नाम सुमंगल मूला, सब सिद्धि करनि हरनि सब शूला’ कहकर इसकी महिमा का गुणगान किया है। पुराण के अनुसार अनादिकाल में मुनिश्रेष्ठ वशिष्ठ महाराज ने कपकोट के अंतिम गांव झूनी के सामने की पहाड़ी में कठोर तपस्या की। वे सरयू को मानसरोवर से धरती पर उतारकर उसे अयोध्या तक ले गए। इसके जल का महत्व गंगा से कम नहीं है।

पद्मपुराण के उत्तरखंड में भी सरयू नदी का माहात्म्य वर्णित है। कालिदास के रघुवंशम में भगवान राम ने सरयू को जननीे समान पूज्य बताया है। सरयू के तट पर अनेक यज्ञों का वर्णन कालिदास ने अपने महाकाव्य में किया है।

सरयू नदी का पुराना नाम

महाभारत के अनुशासन पर्व में सरयू को मानसरोवर से उत्पन्न बताया गया है। अध्यात्म रामायण में भी इसी तथ्य का उल्लेख है। सरयू मानसरोवर से निकलती है जिसका एक नाम ब्रह्मसर भी है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में सरयू को मानस नन्दनी कहा है।

 

सरयू का उद्गम स्थल

सरयू का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले के उत्तरी भाग में स्थित नंदाकोट चोटी की तलहटी से सरमूल नामक स्थान है। यहाँ से छोटी-छोटी सौ धाराओं में निकलकर सरयू अविरल बहना शुरू करती है।

जिस स्थल पर माँ सरयू धरती पर उतरती हैं, उस स्थान को सौ धारा कहते हैं। और यह पर माँ सरयू का मंदिर स्थापित है। सौ -धारा से बहते हुए सरयू भद्रतुंगा पहुंचती हैं। यहां भी भगवान शिव, हनुमान और मां सरयू के मंदिर स्थापित हैं।

सौ -धारा से आगे बढ़ती हुई विभिन्न लघु हिमालयी नदियों को अपने में समेटती सरयू का मिलन कुमाऊँ की काशी यानि बागेश्वर में गोमती के साथ होता है।

 

सरयू का विभिन्न नदियों से मिलन

बागेश्वर से आगे बढ़ने के बाद सरयू का मिलन रामगंगा नदी से होता है और आगे यह रामगंगा के नाम से जानी जाती है । लगभग 130 किलोमीटर आगे बढ़ने पर रामगंगा का मिलन पंचेश्वर में काली नदी (शारदा) से हो जाता है।

इन नदियों के संगम के बाद पुनः कहलाई सरयू

यही काली नदी उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के पास ब्रह्माघाट में घाघरा से मिलती है। घाघरा और काली नदी (शारदा) के संगम के बाद आगे को यह नदी पुनः सरयू कहलाती है।

मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि से अयोध्या इसी सरयू के तट पर स्थित है। यह हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी।

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